tag:blogger.com,1999:blog-34694290292853927312024-02-19T09:30:23.210+05:30सच्चिदानंद ....निमित्त मात्र है आयोजक, श्रोता वक्ता वृन्द ....
खेवनहार है परब्रह्म स्वयं सच्चिदानंद ....बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-43569069813660305292012-11-10T22:06:00.000+05:302012-11-10T22:06:56.751+05:30शक्ति स्वरूपा महालक्ष्मी
- तरुण कुमार दाधीच
भारतीय
शिल्प शास्त्रों, पौराणिक शास्त्रों व अन्य प्रतिमा विषयक
ग्रंथों में देव प्रतिमाओं के विविध स्वरूपों का शास्त्रोक्त वर्णन मिलता है ।
इसके अलावा ’विष्णुधर्मोत्तर पुराण’, ’अपराजितयच्छा’,
’मत्स्य पुराण’, ’मानसार’, ’मयमत’, ’अग्नि पुराण’ रूप
मण्डन’, ’शिल्परत्न’ आदि अनेक ग्रंथों
में हमें लक्ष्मी के विविध स्वरूपों का उल्लेख बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-20847418842629540512012-11-10T21:45:00.000+05:302012-11-10T21:45:34.665+05:30शक्ति की अनन्त स्त्रोतस्विनी-गीता
- सीताराम दाधीच
( लेखक सुजानगढ़ के मूल
निवासी हैं। आप हमारे लेखक परिवार के अग्रणी, आदरणीय सदस्य व
विद्वान विचारक हैं। आप शिक्षा विभाग राजस्थान को
बतौर उपनिदेशक व ब्राह्मी विद्या पीठ लाडनूं को बतौर प्राचार्य अपनी सेवाएं दे
चुके हैं )
श्रीमद्भागवद्गीता
सर्वकालीन, सार्वजनिक एवं सार्वभौम ग्रंथ है। उसे मानव-निर्माण
का विश्व-कोष कहा गया है । इसे बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-2399100462852197822012-11-05T16:23:00.000+05:302012-11-05T16:25:25.156+05:30कराग्रे वसति लक्ष्मी
-देवदत्त शर्मा.अजमेर
विष्णु पुरूषार्थ के प्रतीक हैं तथा हमारे
हाथ पुरूषार्थ के माध्यम। इसीलिए वेदों में यह उक्ति है - ‘कराग्रे वसति
लक्ष्मी’
धन! अर्थात् लक्ष्मी की
आकांक्षा प्रत्येक प्राणी को होना स्वाभाविक है, क्योंकि
यही जीवन का आधार है। यही विकास की रीढ़ है। अतः हर इंसान, चाहे वह किसी भी देश में हो, अधिकाधिक धन
अर्जित बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-37362567325645714952012-11-05T15:50:00.000+05:302012-11-05T15:52:32.586+05:30स्वर्ण प्रकाश को तलाशता हमारा दीपोत्सव
- शास्त्री कोसलेन्द्रदास
(
दधिमती लेखक परिवार की निष्ठावान एवं समर्पित विद्वत्मन्डली के उज्ज्वल एवं प्रखर
नक्षत्र, रामानंद विश्व विद्यालय में दर्शन साहित्य
के आचार्य, शास्त्री कोसलेंद्रदास ने दीपावली के विभिन्न
अर्थ एक दार्शनिक अंदाज में किये हैं। तम के विरुद्ध
युद्ध के लिए सन्नद्ध अनुशासित सैनिक की भांति अवली अर्थात पंक्ति बद्ध दीपों के
त्यौहार दीपावली के अबूझे,अछूते अर्थ एवं व्याख्याबी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-70341604937624814132012-10-21T18:56:00.000+05:302012-10-22T16:51:58.372+05:30राक्षस जाति एवं रावण - एक परिचय
-देवदत्त शर्मा
(कई बार जो सत्य हम जानते
हैं उसे ही अंतिम एवं निरपेक्ष सत्य मान बैठते है, पर
ऐसा नहीं होता |. ज्यों ही हमारी जानकारी के परे कोई
नयी बात हमारे समक्ष उद्घाटित होती है, वह हमें पहले स्तंभित करती है, फिर चकित एवं
विस्मित करती है एवं अंत में हमें मुदित करती है. प्रस्तुत
खोज परक लेख में राक्षस राज रावण से सम्बंधित कुछ नवीन
बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-43678540172410993252012-10-19T14:13:00.001+05:302012-10-22T16:49:43.965+05:30ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में राम-रावण युद्ध
- देवदत्त शर्मा
दशग्रीव रावण ने घोर तपस्या द्वारा इच्छित वरदान प्राप्त कर
विश्वविजयी अभियान चलाया था। उसने अपने अहंकार के कारण सारे विश्व को त्रस्त कर
दिया था। कौशल नरेश ‘अनरण्य’ का वध करके उसने अयोध्या पर विजय
प्राप्त करके समस्त देवताओं के अस्तित्व पर आघात किया था। कौशल (अयोध्या) राज्य ने रावण के विनाश का बीड़ा
उठाया था। इसी कड़ी में राम वनवास (बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-53070394465390589212012-10-17T00:12:00.000+05:302012-10-17T00:12:34.318+05:30रावण दशानन नहीं एकानन था !
-तरुण कुमार दाधीच
(
धरती चपटी है, यह स्थापित मान्यता थी।
किन्तु नव खोज एवं अनुसन्धान ने सिद्ध किया कि धरती गोल है। ठीक वैसे ही स्थापित
मान्यता है कि रावण के दस सिर थे। किन्तु दधिमती लेखक परिवार से हाल ही में जुड़े
विद्वान लेखक श्री तरुण कुमार दाधीच का यह अनुसंधानपरक लेख इस विषय पर आपको
निश्चित ही नवदृष्टि देगा – संपादक )
हमारी संस्कृतिबी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-87066356354740461782012-10-14T17:31:00.000+05:302012-10-19T14:18:30.057+05:30प्रत्यक्ष हनुमान : जाखू हिम पर्वतमाला
‘‘धरती पर
प्रत्यक्ष रूप से अगर पवन-पुत्र हनुमान जी के दर्शन करने हो
तो देव भूमि हिमाचल की राजधानी शिमला जरूर जावें’’ यह
बात अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातनाम न्यूरो सर्जन जो कि मेरे मित्र हैं, डॉ. नगेन्द्र शर्मा ने कही। तभी से मैंने
निश्चय कर लिया कि मुझे देवभूमि जाकर रामभक्त हनुमानजी के दर्शन करने हैं।
14 जून,
2012&बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-43382703779863659372012-10-11T08:08:00.000+05:302012-10-14T16:54:32.201+05:30ईर्ष्या ; व्यक्तित्व का लुभावना छिद्र
( जीवन दर्शन )
&बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-23970106415797972182012-09-07T22:10:00.000+05:302012-09-14T02:12:23.199+05:30परमार्थ परम धर्म है
-देवदत्त दाधीच "छोटी खाटू वाले"
जग में जीवन श्रेष्ठ वही जो फूलों सा मुस्काता है
अपने गुण सौरभ से जग के कण-कण को महकाता
है।
जग तो एक सराय अनोखी, सुख-दुख इसमें हैं भरपूर
सुख देने से सुख मिलता है, दुख दे तो
दुःख से हो चूर।
ये कुछ पल की जिन्दगी है, जाना सबको बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-63736238396114347222012-08-16T23:46:00.001+05:302012-08-17T07:47:53.417+05:30ओ बादलियो बरस्यो कोनी
राजस्थानी कविता
प्रेषक-गौरी शंकर शर्मा
(ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था पूर्णतः वर्षा आधारित है। पर जब
वर्षा अर्थात बादल दगा दे जाए तब गांव की, विशेषतः कृषक महिलाओं की क्या
स्थिति होती है, का करुण चित्र इस कविता में
खींचा गया है। इस वर्ष मानसून के आने में विलम्ब से ‘‘जल ही जीवन है’’ ,को हमने बड़ी शिद्दत से समझा महसूस किया। पर इस से प्रत्यक्ष
रूप सेबी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-27532819040262608922012-08-16T00:25:00.000+05:302012-08-17T02:32:48.459+05:30महान पौराणिक महिलाएं : प्रचलित बनाम वास्तविक नाम
- देवदत्त शर्मा
(यह शोध परक लेख श्री देवदत्त शर्मा , अजमेर ने भेजा है, जो मूलतः रेवेन्यू बोर्ड
अजमेर में एडवोकेट हैं। वकालत के नीरस पेशे का साहित्य रसास्वादन एवं सृजन, अध्यवसाय से दूर दूर का वास्ता नहीं होता किन्तु व्यक्ति के भीतर रस का
सोता कहीं सोता हो तो अवसर पाते ही फूट पड़ता है। आशा है श्री शर्माजी का यह
सर्वथा मौलिक लेख आपको नवीन जानकारियों बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-34898761086499419572012-08-03T08:55:00.000+05:302012-08-16T23:01:34.656+05:30ऊर्जा का अपूर्व भण्डार :
अंकुरित अन्न आहार
( दधिमति पत्रिका के पाठकों को
कुछ उपयोगी सामग्री इसके "सेहत और खानपान" स्तंभ के माध्यम से प्रस्तुत
की जाये,इस भाव से प्रेरित व अनुप्राणित होकर लिखा गया यह
सर्वथा मौलिक लेख आप के लिए आपकी सेहत से जुड़े विषय पर प्रस्तुत है, इस आशा के साथ कि यह आपकी खान पान की आदतों में सकारात्मक एवं सार्थक
बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होकर आप के स्वास्थ्य संरक्षण में बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-64925556526083705082012-03-09T15:48:00.004+05:302012-04-03T22:07:53.366+05:30दधिमती ( मार्च २०१२ )दधिमती ( मार्च २०१२ )
पत्रिका डाऊनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें !
बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-59892150718481562782012-03-03T05:25:00.001+05:302012-03-04T00:36:54.728+05:30देने का सुख
देने का सुख
[आलेख मूलतः दधिमती पत्रिका के सम्पादकीय के लिए लिखा गया और तदनुसार प्रकाशित भी हुआ ! कालांतर में निरंतर चिंतन से विषय विकसित विस्तारित व ज्यादा स्पष्ट होकर वर्तमान स्वरुप में आप के समक्ष है व इस में विषय से सम्बद्ध अन्य पहलुओं को शामिल किया गया है, जो सम्पादकीय में कई सीमाओं के चलते छूट गए थे! कहना ना होगा कि लेख गंभीर पाठकों के लिए है!]
यह विश्व बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-56063644671530769112012-01-19T22:48:00.003+05:302012-01-21T10:34:15.784+05:30दधिमती (जनवरी २०१२ )
दधिमती (जनवरी २०१२ )
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बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-51631253791928353422012-01-10T02:43:00.026+05:302012-01-21T10:32:08.865+05:30कविता का जन्म !
[ सहज नहीं है काव्य सृजन,सहज है तो आलोचना ! काव्य सृजन की क्या परिस्थिति होती है, क्या कवि की मनस्थिति होती है व कैसे होता है काव्य सृजन, से आप सुधि पाठकों को रू-ब-रू कराने को प्रस्तुत है यह कविता - बी जी शर्मा ]
कविता का जन्म
मन मे भरी हो विरह वेदना, या प्रिय से मिलने का उल्लास !घोर निराशा का अन्धियारा, या आशा उत्साह का हो प्रकाश !!बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-57152350377982281982012-01-03T18:42:00.005+05:302012-01-06T23:13:24.506+05:30आओ पतंग उड़ाओ
[ दधिमती मासिक पत्रिका के स्तम्भ "बाल फुलवारी" के लिए मकर संक्रांति के अवसर पर बाल मनो विज्ञान को ध्यान में रख कर लिखी गयी कवितायें ! चूँकि यह सृजन बच्चों के लिए है अतः बाल सुलभ मनोरंजन ही इन में देखें न कि बौद्धिकता ! हालांकि कवितायें शिक्षा प्रद व संदेशपरक है !]
आओ पतंग उड़ाओ
आओ आओ पतंग उडाओचुन्नू आओ मुन्नू आओडोर  बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-24310433766550604382011-12-21T22:21:00.022+05:302012-01-07T19:17:26.759+05:30लघु रचना (दोहे)
नाविक के तीर
( अधोलिखित तीनो रचना जयपुर में पंडित दीन दयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित "निजीकरण से ही देश का विकास संभव है " विषयक व्याख्यान माला में अपने भाषण के पक्ष को प्रभावशाली बनाने हेतु सृजित )
मेरा खेत खलिहान है मेरा मै हूँ इस बगिया का माली !निजता का मन मे भाव लिये मुस्तैदी  बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-77781203708923347082011-12-11T22:27:00.006+05:302012-01-07T19:17:26.759+05:30दधिमती ( दिसम्बर २०११ )
~डाउनलोड करने के लिए क्लिक करे~
बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3469429029285392731.post-90334483558825785092011-11-24T15:35:00.005+05:302012-01-07T19:17:26.760+05:30दधिमती ( नवम्बर २०११ )
दधिमती ( नवम्बर २०११ )
~डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करे~बी. जी. शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02731206683806555142noreply@blogger.com0