अंकुरित अन्न आहार
( दधिमति पत्रिका के पाठकों को
कुछ उपयोगी सामग्री इसके "सेहत और खानपान" स्तंभ के माध्यम से प्रस्तुत
की जाये,इस भाव से प्रेरित व अनुप्राणित होकर लिखा गया यह
सर्वथा मौलिक लेख आप के लिए आपकी सेहत से जुड़े विषय पर प्रस्तुत है, इस आशा के साथ कि यह आपकी खान पान की आदतों में सकारात्मक एवं सार्थक
बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होकर आप के स्वास्थ्य संरक्षण में सहायक सिद्ध
होगा.लेख अपने विषय पर स्पष्ट एवं परिपूर्ण हो, के ध्येय एवं
लक्ष्य के कारण कुछ लंबा अवश्य हो गया है. – बी.जी.शर्मा )
यदि हम जीभ के स्वाद को अनदेखा कर सेहत को महत्व देते हैं तो अंकुरित अन्न का नाश्ता लाजबाब है व सेहतमंद गुणों का इतना बड़ा खजाना है कि हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते .वस्तुतः अंकुरित अन्न फलों का श्रेष्ठ विकल्प है एवं अंकुरित अन्न खाने वालों को सेहत के लिए फलाहार पर कम निर्भर रहना पडता है. हम बाजार से लाकर ताजा फल एवं सब्जी भी खाते हैं ,तो उसका सम्बन्ध विच्छेद अपनी डाल अथवा अपनी जड़ से कुछ घंटे, कुछ दिन पूर्व हो चुका होता है, परिणामतः उसके जीवन एवं वृद्धि पर तो विराम लग ही चुका होता है बल्कि वह फल एवं सब्जी क्रमश ह्रास एवं मृत्यु की और अग्रसर हो रही होती है. यदि गर्मी का मौसम है एवं फलों सब्जियों के स्टाक के लिए रेफ्रिजरेशन की सुविधा नहीं है तो उस फल एवं सब्जी की जीवन शून्य होने की तरफ अग्रसर होने की यह गति और भी ज्यादा हो जाती है. जबकि इसके विपरीत अंकुरित अन्न खाना बगीचे में पेड़ के नीचे खड़े होकर तुरंत ताजा फल तोड़ कर खाने के समान है. इस का कारण भी स्पष्ट है कि अंकुरित अन्न हमारे दाँत के नीचे आने एवं पिसने तक जीवित इएवं सतत बढ़ता हुआ दाना होता है. जीवित, जीवंत एवं जीवनी शक्ति से युक्त इस आहार में दुर्लभ विटामिन्स एवं एंजाइम्स होते हैं जो सिर्फ अन्न में अंकुरण के समय ही मौजूद होते हैं व कहीं किसी औषधि एवं फल में नहीं होते.
अन्न
अंकुरण के समय दाने में दुर्लभ विटामिन्स एवं एंजाइम्स क्यों होते हैं ?
इस में
प्रकृति की लीला या माया, यों समझी जा सकती है कि
प्रकृति एक मृत एवं निष्क्रिय सूखे हुए बीज में अंकुरण के समय नव जीवन का संचार उस
दाने की पुनः उत्पादन क्षमता सक्रिय करने की नीयत से,करती है
एवं उस नवजीवन संचार के सीमित समय अवधि (जब दाना फटता है, और उसमे अंकुर प्रस्फुटित होता है एवं पौधे का आकार ग्रहण करने से पूर्व ) के लिए प्रकृति उसको वरदान स्वरुप अपने श्रेष्ठतम
निधियां अर्थात विटामिन्स एवं एंजाइम्स प्रदान करती है एवं इस के पीछे प्रकृति का
उद्देश्य होता है उसे अर्थात दाने को अतिरिक्त जीवनी क्षमता प्रदान करना.
अन्न
अंकुरण कैसे करें ?
अन्न अंकुरण का
परंपरागत तरीका सहज एवं सरल है कि अन्न को पहले पर्याप्त समय तक भिगो दिया जाए एवं
भीग जाने के बाद कपडे में बाँध कर पर्याप्त समय के लिए रखा जाये कि दाने में अंकुर
फूट जाए. आजकल बाजार में डिब्बानुमा उपकरण (स्प्राउट मेकर) मिलते हैं, जो अन्न
अंकुरण बेहतर तरीके से करते हैं. ग्रीष्म एवं वर्षा ऋतु में दाने सहज ही अल्प समय
में अंकुरित हो जाते हैं जब कि शरद ऋतु में थोडा ज्यादा
समय लगता है. स्प्राउट मेकर डिब्बे में अपेक्षा कृत सुगमता से अंकुरण होता है एवं
दाने का अंकुरण तीव्र गति से होकर अधिकांशतः दाने अंकुरित हो जाते हैं. आप अंकुरित
आहार की नियमितता के लिए अंकुरित किये दाने फ्रिज में रख सकते हैं, जो खराब
नहीं होते हैं. ( कारण कि फ्रिज में भी उनकी वृद्धि प्रक्रिया जारी रहती है,बेशक ठन्डे
वातावरण के कारण इसकी गति कम होती है ) जो आप खाने में काम में ले सकते हैं.
ज्यादा समय फ्रिज फ्रिज में रखे या ताजा अंकुरित अन्न खाने को उपलब्ध हो तो फ्रिज
में रखे अंकुरित अन्न को आप पका कर दाल एवं सब्जी के रूप में खाने में काम में ले
सकते हैं.
कौन
सा अन्न अंकुरण के लिए श्रेष्ठ है ?
इस का कोई
निश्चित सूत्र नहीं ! देश, काल, ऋतु, भौगोलिक परिस्थिति, अन्न का प्रचलन एवं उपलब्धता तथा सबसे बढ़कर प्रयोक्ता की रूचि के अनुसार
प्रत्येक अन्न जो मानव के लिए खाद्यान्न की श्रेणी में आता हो ,को अंकुरण कर खाया जा सकता है. हमारे यहाँ की परिस्थिति में गेहूं को भी
अंकुरित कर खाया जा सकता है एवं दाना मेथी भी (प्रायः कम गर्मी में अंकुरित होने
वाले ), किन्तु ज्यादातर दलहन; यथा चना, मोठ, चौला, मूंग आदि का प्रचलन है. किन्तु अंकुरित आहार में ज्यादा प्रचलन मूंग का ही
है. इस का कारण सहज उपलब्धता, इसका सुपाच्य प्रोटीन एवं
निरापद आहार होना है. ( इस लेख में भी मूंग को केंद्र में रख कर ही हम अंकुरित
आहार पर चर्चा करेंगे )
अंकुरित
अन्न (मूंग) को कैसे खाया जाये ?
इस का भी कोई
निश्चित सूत्र नहीं है. मूल उद्देश्य है कि अंकुरित आहार हमारे उदर में पहुंचाना
एवं इसके चलते चाहे स्वाद के लिए या इसके गुण अभिवृद्धि के लिए इसके साथ सहायक
आहार लिया जा सकता है, बल्कि लिया ही जाता है. कुछ
सुझाव यों है –
(१) सर्वाधिक प्रचलित सहायक आहार
अंकुरित मूंग के लिए गुड़ है, जिसके साथ अंकुरित मूंग
को चबा चबा कर खाया जाता है. यह बच्चों युवकों एवं परिश्रम करने वालों के लिए
श्रेष्ठ है क्यों कि यह अपनी इक्षु शर्करा के कारण तुरंत ऊर्जा की आवश्यकता की
पूर्ति करता है. इसमें गुड़ के अतिरिक्त या विकल्प के तौर पर भीगी हुई किशमिश भी
प्रयुक्त की जा सकती है. यह शक्तिदायक तो है ही साथ ही साथ अंकुरित आहार को
सुपाच्य बना देती है. संभवतः यह मीठा सहायक आहार मधुमेह के मरीज ना लेना चाहें, यदि लेवें तो भी अपने चिकित्सक की सलाह से लेवें.
(२) अंकुरित मूंग के साथ मक्खन अथवा
घी एवं पीसी मिश्री मिला कर ली जा सकती है. यह युवकों बच्चों एवं परिश्रम करने
वालों के लिए श्रेष्ठ है इस से रुक्ष आँतों को स्नेह भी मिलता है. यदि मिश्री
मधुमेह अथवा अन्य कारण से अनुकूल ना हो तो इस की जगह मक्खन एवं नमक लिया जा सकता है.
(३) अंकुरित मूंग के साथ दही एवं पीसी हुयी मिश्री/ शक्कर ली जा
सकती है . दही अपने में अवस्थित मानव मित्र जीवाणुओं ( लेक्टो बेसिली बेक्टेरिया)
के कारण मूंग के प्रोटीन को पचाने हेतु श्रेष्ठ
पाचक का काम करता है. इसको ज्यादा पौष्टिक एवं ऊर्जादायी बनाने के लिए इस में
अर्थात दही में घी / मक्खन मिलाया जा सकता है .
एक विकल्प शहद भी है जो ना सिर्फ ऊर्जा प्रदाता है बल्कि अंकुरित अन्न एवं दही के
साथ मिल कर इनके गुणों को द्विगुणित कर देता है
एवं दही के साथ इसका संयोग श्रेष्ठ सौंदर्य वर्धक आहार भी है.
(४) अंकुरित मूंग को सलाद कचूमर के साथ भी रूचिकर बना कर लिया जा सकता है. रूचि के अनुकूल
प्याज. टमाटर के बारीक कतरन एवं थोडा सा नीम्बू
का रस एवं नमक,लाल / काली मिर्च पावडर मिला कर लेने से चटपटा
किन्तु स्वस्थ्यप्रद आहार पसंद करने वालों के लिए श्रेष्ठ विकल्प है.
(५) अंकुरित मूंग को फ्रूट चाट
(मिक्स फ्रूट कचूमर नमक काली मिर्च के साथ ) लिया जा सकता है. चूँकि अंकुरित मूंग
एक प्रोटीन आहार है अतः यह भी बेहतर हो सकता है कि इस को प्रोटीन पाचक फल विशेष के
साथ लिया जाये. प्रोटीन को पचाने में सक्षम फल है पपीता. पपेन एक ऐसा रसायन है जो
कि सिर्फ पपीते में ही उपलब्ध है एवं इस रसायन को प्रोटीन पाचक के रूप में
प्रतिष्ठा प्राप्त है. पपीते को विटामिन ए के श्रेष्ठ स्त्रोत के रूप में जाना
जाता है. ध्यान देने योग्य बात यह हैं कि मूंग उबाल कर दाल/ खिचड़ी के रूप में खाने से सुपाच्य होती है किन्तु कच्चा खाने के लाभ अलग ही है.
अंकुरित मूंग अंकुरण के कारण सुपाच्य हो जाता है किन्तु कच्चा आहार तो कच्चा ही
होता है. अतः इसके सहायक आहार इसे पचाने में मदद करते हैं.
एक अभ्यास आपके
जीवन का कायाकल्प कर सकता है कि आप पका कर खाया जाने वाला अन्न यथा मूंग दाल, मूंग
खिचड़ी,चना, चौला,मेथी दाना, आदि सूखे दाने की बजाय इन्हें
अंकुरित कर पका कर खाएं. यहाँ तक कि गेहूं के दलिये की जगह अंकुरित गेहूं को नमकीन
खिचड़ी के रूप में पका कर अथवा उबले अंकुरित दाने घी शक्कर अथवा दूध शक्कर मिला कर
खाने से इनके पोषण मूल्यों में कई गुणा वृद्धि कर देता है. ज़रा सोचिये ! क्या
सूखे अन्न की जगह भीगा और अंकुरित अन्न पकाया हुआ, कोई
नुकसान पहुंचा सकता है, सिवाय इसके कि तैयारी में यह आप
से थोड़ा परिश्रम और समय ज्यादा मांगता है.
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